गहरे पानी पैठ
- 124 Posts
- 267 Comments
देखता हूँ
अंतिम किरण तक
रोज तुम्हे
और सोचता हूँ
पा लूंगा तुम्हे
आज ही l
किन्तु समय…..
जो है सबका अदिष्ठाता
ठहरता नहीं
परिहास सा करता
आगे बाद जाता
और मैं हो जाता
उससे पराजित,
एकत्व चाहते भी
मजबूर सा तुमसे विस्थापित
किन्तु….
रूठ जाओ न तुम
इस आशंका में
दौड़ पड़ता हूँ
हर किरण के पीछे
तुम्हे पुकारता,
गुहार लगाता….
रुक जाओ
तुम मेरा जीवन हो
मुझसे दूर मत जाओ
मुझे अपनाओ l
भोला नाथ पाल
इटावा
Read Comments