गहरे पानी पैठ
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मेरे प्रभु,
सुने हैं,
गुने हैं,
गुनगुनाये हैं,
अंतस से गाये हैं,
मैंने….
तेरी प्रेरणा के,
पावन स्वर |
दौड़ा हूँ सारी शक्ति लगाकर,
तेरे पीछे,
किन्तु नही जान पाया,
कैसे पाऊँ,
तेरा कृपास्रोत |
क्या हूँ मैं ?
शून्य के अतिरिक्त,
बिना तेरी कृपा,
हर किरण से रिक्त,
तोड़ दो,
द्वैत के बंधन,
नही बनना मुझे सिद्ध,
चलना है मुझे,
तेरे पीछे,
खोल दो राह अवरुद्ध,
झरने दो अमृत प्रपात,
बरसो घर आँगन,
मिटे ताप,
टूटे अहं,
मिटे वहम्,
हो ऐसी बरसात,
न रहूँ मैं,
रहे तू ही तू,
ना कोई पार्थ,
ना कोई सार्थ |
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