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कमजोर लोकतंत्र, अस्थिर पाकिस्तान और मोदी की ख़ामोशी का निहित अर्थ

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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घोर अंतर्द्वंद से जूझते बेचारे नवाज़, करें भी तो क्या, मगर की पीठ पर बैठा इंसान मझधार में बोले भी तो क्या | घोर राजनीतिक संकट से जूझ रहे नवाज़ भारत के लिए तरस के पात्र हैं | पाक की नापाक हरकतें उसके राष्ट्रीय चरित्र का वर्तमान फल है | सीमा पर अकारण गोलीबारी के पीछे घुसपैठ की साजिश के अतिरिक्त और कुछ नहीं हो सकता | पाकिस्तान अपने देश की पौध, टीनेजर्स को मानवबम बना रहा है | यह भी नहीं देखता कि इससे पाकिस्तान के भविष्य का क्या हश्र हो रहा है | पाकिस्तान विश्व की चुनी हुई मादक पदार्थों की मंडी बन गया है | आतंकवादियों की दरिंदगी में राष्ट्रनिर्माण की भावना मर गई है | निरंतर मरती आशाओं की बैसाखी पर लटका पाकिस्तान का लोकतंत्र इतना निरीह और असहाय है कि कदम कदम पर सेना और विपक्ष कानून को अपने हाथों में लेकर सत्ता को शर्मसार कर रहे हैं | नवाज़ शरीफ को २४ घंटे की चेतावनी मिलती है की कुर्सी छोड़ दो | इसी मध्य उनके सरकारी आवास पर हमला बोल कर तोड़ फोड़ की जाती है | सात-आठ बलवाइयों की मृत्यु के समाचार के साथ ही ३०० से अधिक के घायल होने की खबर आती है | कुछ समय बाद ही नवाज़ शरीफ अपने सरकारी आवास को छोड़कर निजी आवास में पहुंच जाते हैं |
अस्थिरता दहशत में सुलगते वर्तमान पाकिस्तान के प्रति भारत का एक पडोसी के नाते, जिस पर कि पाकिस्तान लगातार हमला तथा शांति भंग की कार्यवाही में लिप्त रहा हो, क्या दायित्व होना चाहिए, आप से ही पूछा जाए तो आप भी चकरा जायेंगे एक ऐसे पडोसी राष्ट्र के साथ जो इतना अस्थिर हो कैसा बर्ताव किया जाये |
आप पाएंगे मोदी जी द्वारा ऐसे समय उठाया गया हर कदम समझ, संयम और दूरदर्शिता से भरा है | इस अस्थिता का लाभ उठाने की कोशिश यदि भारत करता है तो फिर भारत कैसा भारत | गुरुता, गंभीरता, मर्यादा को समेटे हमारा राष्ट्रीय चरित्र समस्त परिस्थियों से निपटने में पूर्ण सक्षम है| हम देख रहे हैं ……..”एक शिल्पी गढ़ रहा है अकेले और अकेले भव्य भारत की स्वर्णिम तस्वीर, घोर अंतद्वंद से झूझते विचार नवाज़ करें भी तो क्या” |

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