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ऐसा तेरा प्यार कि….

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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जहाँ शब्द कह दें
बस बस बस,
मौन रहो
अब कुछ न कहो,
जहाँ तर्क कह दे
बस बस बस,
गहरे डुबो
और बहो,
जहाँ चेतना कह दे
बस बस ,
मैंने सब कुछ पाया,
ऐसा तेरा प्यार
कि जीवन….
तुझको पा इतराया |
तेरे एक शब्द की महिमा
वाणी कैसे गाये,
तेरी मीठी दृष्टि का,
दृष्टि क्या मोल चुकाए |
जैसे पंछी
गगन नापकर
फिर फिर तुझपर आये,
तू ही तू बस,
तू ही तू बस
कह कह तुझे बुलाये,
तब स्वांसों स्वांसों में
जैसे…….
तू ही आन समाया,
ऐसा तेरा प्यार
कि जीवन…..
तुझको पा इतराया |
जहाँ शब्द कह दे
बस बस बस…..
इन् स्वांसों को,
जाने कैसा,
तेरा जादू लागा,
घर आँगन…….
चौका चूल्हे का,
अहो भाग्य है जागा,
चलना – फिरना,
कहना-सुनना,
सब कुछ लगता प्यारा,
लगता जैसे,
स्वांसों को आ,
तूने स्वंय संवारा,
हर उमंग में,
हर तरंग में,
तू ही आन समाया |
ऐसा तेरा प्यार,
कि जीवन….
तुझको पा इतराया |
जहाँ शब्द कह दे
बस बस बस……
मेरी मन वीणा को
हे प्रभु !
तेरी ममता, तेरा प्यार
करते रहते –
नित्य तरंगित,
बनकर-
स्पंदन साकार,
और गूंजता रहता,
पल पल….
रोम रोम तेरा आभार,
पुलकित और तरंगित,
मन का,
तुम ऐसा करते श्रंगार,
तन की कुटिया,
मन का आँगन,
तूने यूँ महकाया…
ऐसा तेरा प्यार
कि जीवन……
तुझको पा इतराया |
जहाँ शब्द कह दें
बस बस बस….

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