गहरे पानी पैठ
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प्रेम पथ के मुक्त पंछी
मेरी मन बगिया में आओ,
मेरा मन भी तुमसा चहके
तुम कुछ ऐसे स्वर में गाओ |
* * * * *
देखो हम तृष्णावश मरते
कल के लिए कठिन तप करते,
क्या मुझ जैसे तुम भी चिंतित
उत्तर दो मुझको बहलाओ |
* * * * *
तुम क्या ओ यह तुम ही जानो
अपनी विधा स्वयं पहचानो,
मेरा जीवन तुम बिन मरघट
मुझको जीवन गीत सुनाओ |
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हे जग के श्रंगार रूप तुम
निश्छल मन में प्यार रूप तुम,
तुमसे मैं जैसे बन पाऊँ
मुझको ऐसा मीत बनाओ |
* * * * *
बहुत रूक्ष, मैं प्रस्तर खान
कोयल स्वर के तुम प्रतिमान,
कुछ क्षण मेरे पास बैठकर
पत्थर से मन को पिघलाओ |
* * * * * *
पत्थर भी रोते तरने को
व्याकुल गंगा संग बहने को,
हर कंकड़ पत्थर बन जाये
ऐसी लहरों में उलझाओ |
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