गहरे पानी पैठ
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राही तुमको चलना होगा |
दूर कहीं ऊँची चोटी पर,
मन को देकर तुम आमंत्रण-
कहते हो तुम बढ़ते आओ,
मत ठुकराओ नेह निमंत्रण,
बैठ गए कैसे पाओगे
मन की सच्चाई का दर्शन,
अमृत कलश यहाँ झरता है
मन को तनिक मचलना होगा |
राही तुमको…..
कितना भी पथरीला हो पथ,
दुस्तर और कटीला हो पथ,
अलग नहीं होते मंजिल, पथ
पथ से मंजिल, मंजिल से पथ,
कदम कदम में बसता अम्रृत,
दूरी तो कम करना होगा,
द्वैत भाव को तजना होगा |
रही तुमको ……….
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