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मोदी जी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सभी पडोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों, अपने समकक्षों को निमंत्रित किया | बिना किसी पूर्व आग्रह और वर्तमान संबंधों से उत्पन्न वातावरण का आकलन किये, इस आशा तथा उद्देश्य से कि सबके साथ एक पडोसी जैसे मैत्री सम्बन्ध रखने हैं | समारोह में लगभग सभी का आना नियत समय से काफी पहले तय हो गया , किन्तु नवाज़ शरीफ यह तय नहीं कर पा रहे थे कि भारत जाया जाय या नहीं | असमंजस की स्थिति से उबरने में उन्हें काफी समय लगा | यह तो नवाज़ शरीफ ही जानें कि उनकी विवसता का क्या कारण था | पाकिस्तान में शासन आवाम और आर्मी की विरलता जग जाहिर है, पाकिस्तान का बुनियादी ढांचा ही नफरत आतंकवाद और अस्थिरता के ईंट गारे से निर्मित है | तख्ता पलट, प्रतिशोध, निर्वासन पाकिस्तान को स्वतंत्रता प्राप्ति की बाद से ही अस्थिर किये हुए हैं | विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य में पिछड़ा पाकिस्तान अठारहवीं सदी के धार्मिक उन्माद और अंधविस्वास में जीने को अभिशप्त है | पाकिस्तान के उलेमा अपने ऊलजलूल फरमानों की लिए विश्व की हंसी के पात्र सदा से रहे हैं | मजहब के नाम पर लोगों को हिंसा, आतंकवाद और तबाही में धकेलना जितना घिनौना है उससे अधिक मानसिक दिवालियापन I सीमापार से अचानक गोलीबारी, गोलीबारी की आड़ में घुसपैठ पाकिस्तान का राष्ट्रीय चरित्र बन गया है | अतीत के पृष्ठ पलटते ही पाकिस्तान द्वारा दिए गए घाव हरे हो जाते हैं | फिर भी मोदी जी ने नवाज़ शरीफ को निमंत्रित किया | कोई क्या जाने उस समय उनके हृदय में क्या चल रहा था | शायद यही कि अतीत को बिसार कर नए रिश्तों की बुनियाद रखना है | सबकी खुशहाली , सबका साथ, सबका विकास का मूल मंत्र हृदय में लिए मोदी जी ने नवाज़ शरीफ को निमंत्रित किया | किन्तु पाकिस्तान इस सुअवसर का भी लाभ न ले सका | वर्तमान हालात ये है कि बोलचाल भी बंद है | अब पाकिस्तान एक ही रोना रो रहा है कि वार्ता चलनी चाहिए |
चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी चिंगपिंग भारतीय निमंत्रण पर आये | और उनके साथ उनकी फौज भी सीमा रेखा पर भारतीय क्षेत्र में चली आई | मोदी जी द्वारा कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई | सुनने में आया कि सीमा चिन्हित न होने के कारण ऐसा हुआ | शी चिंगपिंग के भारत में रहते हुए इस प्रकार सीमा का अतिक्रमण एक पडोसी की मानसिकता या अच्छी सोच का परिचायक नहीं | चीन के साथ सीमा विवाद का सुलझाया जाना अत्यंत आवश्यक है | इस सन्दर्भ में प्रभावी कदम उठाये जाने की अपेक्षा है I हम विस्तारवादी नीति का पोषण नहीं करते, किन्तु दादागीरी, धौंस, आँख दिखाना जैसी मानसिकता का निहित अर्थ भली भांति समझते है | शक्ति संतुलन के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना शेष है |
बंगलादेश, भूटान, नेपाल, अफगानिस्तान, अमेरिका के साथ मैत्री, विदेश नीति, राजनैतिक संबंधों, आयात निर्यात, की नई इबारत लिख कर मोदी जी ने अपने पडोसी देश पाकिस्तान तथा चीन को आपसी संबंधों का सम्मान करने की जो सीख दी है उसकी जितनी प्रशंशा की जाये कम है I फिर भी…………. एक विजय में दूसरे की हार तथा एक खुशी में दूसरे की ईर्ष्या निहित होती है, इस लिए हमने अपेक्षा, उपेक्षा की राह छोड़कर “सबकी खुशी सबका साथ सबका विकास” जैसे मूल मंत्र का सम्मान किया है | हम ऐसी चादर बुनते हैं जिसे सारा जग ओढ़े |सारा जग ओढ़े ………
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