गहरे पानी पैठ
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कामना जो मोक्ष की करता नहीं,
है कहा बंधन उसे जो बांध ले,
जो नहीं जीता कभी निज स्वार्थवश,
स्वार्थ औरों का हृदय मैं थाम ले,
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भोगफल का भय उदय निज भाग्य का,
स्वर्ग सुख का लय मोह विस्तार का,
क्या करेगा राम का जब राम ही,
नाम है समता, पराक्रम, प्यार का…
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जो करे धारण धरा को भाववश,
भाव जिसमे भावना सबकी समाए,
स्वांश का संयम हमें जैसे लुभाता,
विश्व का संयम राम को रास आए,
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जो सनातन सत्य है अभिराम है,
पाप जो है काटता सतनाम है,
एक रावण क्या करोङो द्रोहियों को,
जो करे निर्मूल वो ही राम है…………
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