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ताकि चिंतन जीवित रहे

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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और……
मर जाता है सुकरात,
पी लेता है वह,
अपने हाथों-
जहर का प्याला,
क्योकि,
जनता है वह कि,
परम्पराएँ होती हैं पुनीत,
और……
परम्पराओं की कोख में जन्मा,
वह-
कानून से ऊपर नहीं,
जीवन भर लड़ता है,
वह,
समय के नियंताओं से,
क्योंकि,
चाहता है वह,
कि लोग जागें,
सत्य को पहचाने,
सीखें अमन चैन से,
एक साथ रहना,
किन्तु,
व्यवस्था तो देखती है,
वर्तमान को,
शास्वत दृष्टि से,
उसका क्या लेना देना |
और………..
व्यवस्था मार देती है,
सुकरात को,
बिना सोचे समझे,
इस तरह कि,
शेष नहीं रह जाती
उसके पास-
प्रायश्चित की राह |

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