गहरे पानी पैठ
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बस,
एक ही आस,
कि तुम दौड़ोगे,
और उठा लोगे मुझे ,
अपनी गोद में,
रोके है,
जन्मान्तर से,
मुझे,
तुम्हारे द्वार |
साधना, आराधना, प्रार्थना,
कुछ भी कहो,
सबका,
एक ही है मकसद,
कि मिलेगा,
कभी,
तुम्हारी गोद का सुख |
अतृप्त व्यग्रता,
न जाने कैसे,
जोड़ लेती है,
तुमसे,
तार,
सधने लगते हैं,
न जाने कैसे,
तुमसे,
संकल्पों के साज |
और-
उतरने लगता है
न जाने कैसे
हे अदृश्य !
तुम्हारा आभार |
खुलने लगते हैं,
बंद द्वार,
और
झरने लगते हैं,
अमृत प्रपात …………….
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