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चलना जीवन की परिभाषा….

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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स्वांसों की बगिया का माली
स्वांसो को नहलाता है,
स्वांसों को सुरभित करता है
स्वांसों को सहलाता है |
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स्वांसों के हर आदि अंत का
रखता वह लेखा जोखा,
मंद पड़ें तो स्वांस स्वांस को
स्वांसों से भर जाता है |
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स्वांसों का रहता स्वांसों से
चलते रहने का आभार,
न चलने पर साक्षी होता
“हूँ ” कहलाता यह व्यापार |
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चलना तो चलना होता है
न चलना भी कुछ होता है,
स्वांसों का व्यापार जिंदगी
रुकना भी जीवन होता है |
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स्थिरता अस्तित्व बन गई
चलना जीवन की परिभाषा,
चिंतन संकल्पों का ब्योरा
न चलना थकती अभिलाषा |
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जुगनू चमक रहे सृष्टि बन
लेकर निज़ता का आभास,
निज़ता टूटे बंधन बिखरे
मुक्ति बोध हा! बने बिभास |
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“देखो” ,तो अनंत खुल जाये
“देखो”, तो आकाश लुभाये,
“देखो”, तो इक्छा शक्ति ही
पथ पाहुन, प्रकाश बन जाये |
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इंद्र धनुष की किसी कोर पर
बैठा होगा आदि पुरुष यदि,
निश्चित समझो दौड़ पड़ेगा –
“व्याकुल होकर” – देखो तुम यदि !

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