Menu
blogid : 19172 postid : 934385

राष्ट्र गान – एक विकल्प

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
  • 124 Posts
  • 267 Comments

राष्ट्र गान के वर्तमान स्वरुप को ही जस का तस स्वीकारना उचित होगा या सुधार या बदलाव ? तुम्हें क्या अच्छा लगता है ग्लानि बोध को सहते जाना या ऐसा उपाय करना कि अपयश का दाग मिटे | यदि सहते जाने में तुम्हारी हाँ है तो तुम पर मुझे तरस आता है, ऐसा तरस कि तुम्हें कभी भी मांफ न किया जाए I तुम्हारी हाँ के पक्ष में जुटाए गए सारे साक्ष्यों को इस लिए न सुना जाये कि तुम्हारी सोच ही गलत है | मैं तो राष्ट्र गान के विकल्प का भी पक्षधर हूँ |
***************************************************
दसों दिशायें करती हैं नित , जिसके यश की गाथा
हिन्दू मुस्लिम सिख सभी का झुकता जिसको माथा
उन्नत हिमगिरि से ललाट के सागर पांव पखारे
सूर्योदय से अस्तांचल तक दिनकर रूप निखारे
गाये तव यश गाथा
भ्रातृ भाव फैलाने वाले हे जग मंगल दाता
जय हे जय हे जय हे !
जय जय जय जय हे !

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh