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धर्म की सुगन्धि है नैतिकता……….

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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धर्म की सुगन्धि है-
नैतिकता
चित्त में हो धर्म
तो-
व्यवहार में खिलती है
नैतिकता
नीति व्यवहार का शास्त्र है
धर्म अंत करण का
धर्म सिखाता है
परिवर्तन
नीति – बाध्यता
धर्म की अनुगामिनी है
नैतिकता
धर्म के पीछे आती है
नैतिकता
धर्म रूपांतरण है
प्रेम है
तपस्या है
नीति पुष्प
धर्म है जहां
नैतिकता के पुष्प खिलते हैं-
वहां |

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