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सूंगा हुआ पुष्प

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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वह ,
जो बहता है
दो किनारों के बीच
जल नहीं , जीवन है
नदी का जीवन I
बिना जीवन ,
नदी –
नदी नहीं रह जाती
खाई कहलाती
जो लोगों को
चोट देती है
डराती है i
दो स्वासों के बीच
बहता है जो
स्नेह है ,प्यार है
बिना स्नेह ,बिना प्यार ,
जीवन –
मरुथल है ,बंजर है,
जहाँ –
आशाओं के
पुष्प नहीं खिलते
शायद ,
जानते होगे तुम ,
सूंगा हुआ पुष्प
किसी को –
समर्पित नहीं करते
राष्ट्र सेवक के कदम
कभी नहीं बहकते ………..

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