गहरे पानी पैठ
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यदि न होते ह्रदय में तुम
वेदना क्यों जन्म लेती ,
विखर जाते शव्द सारे
भावना क्यों भाव सेती I
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तुम मिले रसमय हुए स्वर
गीत कविता भाव विह्वल ,
ख्वाब खुद ही गा उठे तब
बहक बहक कुछ संभल संभल I
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दर्द पीनें को हमारा
अधर जब तुमनें मिलाए ,
ज्वार बन उमड़ा ह्रदय तब
सृजन स्वर स्वासों नें गाए I
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तुम न होते, कल्पना तो –
अल्पना का भार ढोती ,
तब न बहती सृजन सरिता
शव्द सरिता रेत होती I
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