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बूढ़ा वह जिसकी सोच बूढ़ी………….

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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जब…..
अतीत सुखद लगे,
तुम्हारे चित्त को हरे,
जब …..
स्मृतियाँ लुभाएं,
तुम्हारा –
वर्तमान चुराएं,
जब….
बीता कल ही –
कल लगे,
आने वाले कल में –
न उत्साह,
न आशा जगे……..
तो समझो –
तुम बूढ़े हो गए…….
अतीत के –
खंडहरों में खो गए I
बूढ़ा वह नहीं,
जिसकी उम्र बूढी,
बूढ़ा वह,
जिसकी सोच बूढी I
बूढ़ा –
न आगे देखता,
न आगे की सोचता I
उत्साह, उमंग से
उसका,
क्या लेना देना ?
वह तो बस,
इतना ही सोचता,
कि बस,
आगे मरना है,
इसके सिवा –
और क्या करना है I
जो भविष्य देखे,
वह जवान I
जो अतीत देखे,
वह बूढ़ा I
स्वप्न देखिये……
बीते कल के नहीं,
आने वाले कल के,
भविष्य के,
आशा उमंग के,
उत्साह तरंग के I
तुम देखोगे,
तब दर्पण-
मुस्करायेगा,
युवा !
तुम धन्य हो,
तुम्हारे गीत गायेगा …….

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