गहरे पानी पैठ
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लाख कोशिश की
तू दिल से निकला ही नहीं,
कैसा यह अक्श है
इसे दिल से निकालो यारो i
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दो कदम ही सही
इस नूर को लेकर चलो,
इसमें ही न खो जाओ
तो बताना यारो l
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सब ही खरीददार हैं
तुम भी खरीदोगे,
प्यार जहाँ बिकता हो
वो हाट दिखा दो यारो l
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क्यों कहते हो
जरा सज लो, ओ संवर लो,
दिल की इस चाहत को
नजरों मैं ही निखारो यारो l
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चाहत का दर्द सबको
लगता है मीठा-मीठा,
अपनी खुशनसीबी पर
कितना भी इतराओ यारो l
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जिसको तलब हो ज्यादा
बोली मेरी लगाओ,
सौदा बुरा नहीं है
हालात बुरे हैं यारो l
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