गहरे पानी पैठ
- 124 Posts
- 267 Comments
कोई कुछ भी कहता घूमे
माने या न माने
दर्पण झूठ कभी न बोले
कहते लोग सयाने i
*************************
दर्पण दर्प दिखाता क्यों
मेरा मैं बनजाता क्यों
मेरे प्रयास क्या बचकाने ?
***************************
चारों ओर बबूल जम रहे
कांटा बन कर रोज चुभ रहे
तुम फिर भी अनजाने i
************************
बचपन बीता गई जवानी
वानप्रस्थ भी हुआ कहानी
चौथे पन में नव विकास के
सुनते कान तराने i
**********************
सच्ची बात खटकती है
ये सब ही जाने
रावण की विद्वता
राम भी पहचाने
क्या पागल पाषाण ?
लगे उतराने………..
*******************
Read Comments