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कानून व्यवस्था का निवेश ………..

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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विकास ही विकास
अटे पड़े अख़बार
बुद्धिजीवी सहमे सहमे
सच्चाई बदहवास I
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अपना प्रदेश
उत्तम प्रदेश
काश होता यहाँ
कानून व्यवस्था का निवेश I
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उपलब्धियां –
अनन्त I
गृह कर ,जल कर ही क्यों
वायु कर और लगाओ
समस्या ख़त्म
न रहेगा बांस
न बजेगी बांसुरी I
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चार ईंटों में बैठा –
हर इंसान –
अमीर नहीं होता
तुम क्या जानों
निरीह ,
अपना वक्त कैसे ढोता I
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नेता –
मज गया हैं….
जनता,
कीचड़ भरी गलियों से
इस लिए ले जाती
कुछ करेंगे
नेता कहते ….
तुम्ही क्यों
हम भी सहेंगे
चप्पल हाथ में
गली पार
न कोई शर्म ,
न तकरार I
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विकास ?
हुआ है
पानी की टंकियां
सफ़ेद ऐरावत सी
आकाश गंगा पर बहतीं हैं I
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किसान की चादर
पहले फटी थी
अब पेबंद लगी है…..
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अनुदान का रुपया,
पहले पंद्रह पैसे का था,
अब पचास का I
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बादल आते,
सम्मोहन से बंधे से,
किसी को सराबोर कर जाते,
किसी को मुंह चिढ़ाते I
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दिन में –
मैरा के नीचे,
रात में,
मैरा के ऊपर,
लगती है,
किसान की चौपाल,
मेट्रो ,एक्सप्रेस -वे ,ड्रीम प्रोजेक्ट वालो I
किसानों को देखो
वहीँ से उदय होता है
देश प्रदेश का –
भाग्य I
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” पेंशन ,पट्टा,जॉब –
अनुग्रह ,अनुदान ” ?
मुंडन –
पहले जन्म के बाद होता था
अब –
जन्म के पहले I
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” देश अमीर
जनता गरीब ”
प्रभुता और पद,
जब तक नहीं नापते,
एक ही पैमाने से,
सबके कद,
बात नहीं बनेगी I
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दो पल ,
सबके बीच,
खड़े हो,
सबको समझो,
सबको समझाओ,
अपनी ख़ुशी में,
सबको हँसाओ,
सबके गम में,
खुद को रुलाओ,
घड़ियाली नहीं,
दिल से दिल मिलाओ I
****************
मैं-
न हँसता हूँ ,न रोता हूँ,
सिर्फ-
सकते में हूँ,
कि क्या हो रहा है ?
कि इंसान जाग रहा है,
कि सो रहा है ?

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