गहरे पानी पैठ
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भारत अपना भाग्य लिख रहा
विश्व पटल पर स्वर्ण प्रभा में
भारत भारतवर्ष लिख रहा i
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हर दिन नयी सुबह का स्वागत
हर शाम सुखद बन आती ,
स्वांस स्वांस से अवगुंठित हो
जीवन राग सुनाती
आँगन आँगन सुख का सौरभ
द्वार द्वार उल्लास दिख रहा i
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पुलकित धरा बुलाती नभ को
देखो मेरी हरियाली,
और उदार हृदय नभ कहता
तुम्हे समर्पित खुशहाली,
ऐसी बही बयार कि भारत
नित नवीन इतिहास लिख रहा l
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एक हृदय स्पंदित हो कर
प्राणवायु बन जाता जब,
एक हृदय अपने उजास से
नई सुबह ले आता जब,
तब जाता सन्देश धरा को
एक ह्रदय में त्याग लिख रहा i
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