गहरे पानी पैठ
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बहुत सुखद लगा
सुनकर
कि…….
कर चोरों की-
खाल उतार ली जाएगी,
भ्रस्टाचार को
मिटाकर दम लूंगा,
देश को-
इस बीमारी से
मुक्त कराना है,
iकाले धन पर-
और सख्ती होगी ………
जड़ें सूख रहीं हैं-
भृष्टाचारियों कीं……..
नोटों की माला-
गले मैं अटकी हैं,
बदहवास हैं सब,
कोई समय मांग रहा है,
कोई कोस रहा है,
कोई सोच रहा है i
सुना है मैंने-
इन डी ए को कहते
तुम ……..
केवल वोट दो
बायदा रहा
मुक्ति दिलाऊँगा
भ्रस्टाचार से,
अवैध कब्जों से,
भय से,
अपहरण से,
लूट से,
बलात्कारों से i
प्रतीक्षा करो !
सुख शांति की दुनियां
तुम्हारी होगी
तुम –
निर्भय होकर –
सिर्फ –
मतदान करो i
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