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तुम हार गए ………….

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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तुम हार गए
क्योकि
तुम क्रोधित थे ,
तुम हार गए
क्योकि
तुम ईर्ष्या से भरे थे ,
तुम हार गए
क्योकि
तुम गलत थे ,
तुम हार गए
क्योंकि
नहीं थी
उड़ने की ऊर्जा तुममे,
तुम हार गए
क्योकि
तुम जानते थे
कि तुम
नहीं थे –
सत्य के साथ ,
कितना भी हंसो
फिरभी-
सोचता है
क्रोधी से क्रोधी भी
कि गलत किया
कि न करते
तो अच्छा था I
काली होजाती है जब
किसी कि आत्मा
तब –
खड़े रहने की
सामर्थ तक
विरोध करती है रावण का
तब –
उसका अंत ..
कैसा होता है ?
तुम्ही बताओ !
***************************
चलो
मान लेते हैं
गरीब दुखी हुआ
जैसा कि-
तुम कहते हो,
दुखी हुआ या नहीं
तुम क्या जानो !
एक लहर दौड़ गई है
गरीब के हृदय मैं
कि अच्छा हुआ
लुटेरे मारे गए,
कहीं के नहीं रहे,
और सीमा पार
दुश्मन भी-
घुटनों के बल हो गया i
तुम क्या जानो !
कहाँ बसता है
गरीब का सुख
पचास दिन तो
व्यव्हार मैं ही खीच लेगा-
गरीब i
और सुनो
गरीब को छलने का
फरेब पालना
मूर्खता है
यह जो
दरिद्र नारायण कहा जाता है
गरीब को
गलत नही कहां जाता
जाकों कछु न चाहिए
तेई शाहंशाह I
लुटा कौन
गरीब या तुम ?
गरीब का कन्धा
खोजने वालों
शर्म करो
गरीब क्या होता है
समय आने पर
गरीब बताता है ………….

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