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दिग्विजय का अनवरत क्रम ……….

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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और …….
छटने लगा अँधेरा .
पड़ने लगे मुथरे
हर दांव,
कैसे बचें ?
कलुष
खोजनें लगा
ठाँव .
हुआ –
प्रभा का
अवतरण,
हर किरण को
अपने
पावन कर्तव्य का
स्मरण .
पूरब नें ली
अगड़ाई,
पछुवा
दिग्विजय का
शुभ संदेसा
लाई .
सफल हुआ
हर प्रहरी का
श्रम,
लो !
चल पड़ा
चहुँ और –
दिग्विजय का
अनवरत क्रम . .

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