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तेरे आने की आहट…………..

गहरे पानी पैठ
गहरे पानी पैठ
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तेरे आने की आहट सुनी थी मगर
वो थे मगरूर सपनों में सोते रहे ,
नींद से जब जगा कर ली तूने खबर
हड़बड़ाए ,उठे ,आँख धोते रहे .
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वक़्त नें जब कहा ,कुछ हों पाबंदियां
वो ये बोले कि कैसी ये नादानियाँ ,
नासमझ थे ,बढ़ायीं यूँ नाकामियां
रोज ढोनें लगे सबकीं रुश्वायियाँ .
होश आया तो पाया के सब कुछ लुटा
फिर भी मदहोश सपनों में खोते रहे .
तेरे आने की आहट सुनी थी मगर …..
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जिनका हक़ था उन्हें तो संभाला नहीं
पर संभालीं स्वयं कीं कई पीढियां ,
स्वार्थ की मंजिलें सारीं चढ़ते गए
और फिसलते गए फ़र्ज़ कीं सीढियाँ .
अपनें अनुभव क़ी सारी विरासत लिए
वे अंधेरों में सबको डुबोते रहे .
तेरे आने क़ी आहट सुनी थी मगर ……
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समय नें कहा तुम थे मालिक मगर
तुमको करना था क्या ,तुम रहे बेखबर ,
देखो कितना मगन है गगन , ये धरा
ये उमंगों का सूरज कहाँ ले चला !
विजय का कमल हर ह्रदय में खिला
ख्यालों में जो हम सजोते रहे .
तेरे आने कीआहट सुनी थी मगर …….
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