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चुनाव क्या आया लोग नंगे हो गए . विदेश में पढ़े-लिखे लोग विदेशी सभ्यता की नग्नता बन गए .चड्ढी बनियान तक उतार फेकी .अपनें को सभ्य कहलाने बाले राजनीति के ये नौसिखिये सारे रिहर्शल इसी चुनाव में करनें को आतुर हो उठे .सोचते होंगे बोलना तो सीख लें , वाणी में जहर घोलनें की ललक इनको सामान्य स्थिति में लानें के लिए न जानें कितने दसकों तक या आजीवन फुर्शत में बैठ कर एंटी एलर्जी ट्रीटमेंट लेनें को बाध्य करेगी .
सत्ता का नशा ही कुछ ऐसा होता है कि चढ़ गया तो उतारना ही नहीं जानता .फिर नसैल यदि नया हो ,अनाड़ी हो तो क्या कहनें ! वह कहावत है न “प्यादे ते फर्जी भयो टेढो टेढो जाय ” लाटरी तो लाटरी है ,अपना क्या गया जो आगा पीछा देखें ?
महिलायें शालीनता की प्रतीक होतीं हैं इस चुनाव में एकल अधिकार प्राप्त प्रतिभाएं लक्षमण रेखा छलांगने को उद्द्यत दिखीं अपनी कमजोरी को खिजाब लगे वालों कि तरह असली दिखानें के लिए मुखौटे की फर्जी मुस्कान के पीछे छिपी वेदना छिपानें में उनके लाख प्रयत्न भी असफल रहे .धर्म छोड़िये , श्री गणेश से इति श्री तक जातियों का नाम ले, लेकर वोट मांगनें में उनकी महारत नें आचार संहिता को कितना घायल किया इस पर विचार करना शायद उनकी डिक्शनरी से बाहर की बात है .
पारी बदल बदल कर सत्ता कीं पैगे बढानें बालों को बहुत नजदीक से देखनें का सौभाग्य मुझे मिला है .मैं तो इतना ही समझ पाया कि कुर्सी के रहते ” गधा पहलवान ” . बजट को खपानें के लिए तिल को ताड़ दिखाना और बजट के बन्दर बाँट की परंपरा में चोर चोर मौसेरे भाई बन जाना स्वाभावगत सद्गुण हैं ?.तू मुझे बचा मैं तुझे बचाऊं.
“आज टी बी पर बिहार की एक खबर देखी” इससे पहले मैं योगी आदित्य नाथ ,साक्षी महराज ,उमा भारती,साध्वी निरंजन ज्योति को तेज तर्रार तथा आक्रामक विचारक ,वक्ता मानता था आज मुझे लगा कि ये तो अत्यंत सभ्य तथा संयत भद्र पुरुष हैं राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा के लिए ऐसे युग पुरुष मेरी नजरों में सदा पूज्यनीय हैं .राष्ट्र को इनकी सदा आवश्यकता रहेगी .आज आर एस एस से सम्माननीय मेरे लिए और कोई नहीं .
बिहार की घटना को निंदा और भर्त्सना करके छोड़ देना घटना की गंभीरता को नकारना होगा .यह तो पागलपन की पराकाष्ठा है .ऐसे पागल को पागलखाने भेज कर बिजली के झटके तब तक दिए जानें चाहिए जब तक पागलपन का बुखार न उतार जाय .नितीश कुमार ,सॉरी , नितीश कुमार जी ! यदि ऐसे मंत्री को बर्खास्त करके उसे सदस्यता से बेदखल
नहीं करते तो आपके विवेक पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है .कानूनी कार्यवाही के हवाले तो उसे करना ही पड़ेगा .यह राष्ट्र की पुकार है .
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